पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price - MSP) के लिये कानूनी गारंटी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन में दिल्ली की ओर जाने का प्रयास कर रहे हैं।
किसानों की मुख्य मांग सभी फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के लिये एक कानून और डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसल की कीमतों का निर्धारण करना है। स्वामीनाथन आयोग के अनुसार सरकार को MSP को फसल की लागत से कम-से-कम 50% अधिक देना चाहिये। इसे C2+ 50% फॉर्मूला के रूप में भी जाना जाता है।
क्या है न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP):
न्यूनतम समर्थन मूल्य वह गारंटीकृत कीमत है जिसपर सर्कार किसानो से अनाज खरीदती है।
यह कृषि लागत और मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices- CACP) की सिफारिशों पर आधारित है, जो उत्पादन लागत, मांग तथा आपूर्ति, बाज़ार मूल्य रुझान, अंतर-फसल मूल्य समानता आदि जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करता है।
कृषि लागत और मूल्य आयोग कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है। यह जनवरी 1965 में अस्तित्व में आया।
कृषि उत्पादन लागत की लिए किन आधारों पर गड़ना होती है ?
CACP प्रत्येक फसल के लिये राज्य और अखिल भारतीय औसत स्तर पर तीन प्रकार की उत्पादन लागत का अनुमान लगाता है।
‘A2’: इसके तहत किसान द्वारा बीज, उर्वरकों, कीटनाशकों, श्रम, पट्टे पर ली गई भूमि, ईंधन, सिंचाई आदि पर किये गए प्रत्यक्ष व्यय को शामिल किया जाता है।
A2+FL': इसके तहत ‘A2’ के साथ-साथ अवैतनिक पारिवारिक श्रम का एक अधिरोपित मूल्य शामिल किया जाता है।
‘C2’: यह एक अधिक व्यापक लागत है, क्योंकि इसके अंतर्गत ‘A2+FL’ में किसान की स्वामित्त्व वाली भूमि और स्थिर संपत्ति के किराए तथा ब्याज को भी शामिल किया जाता है।
किसान C2+ 50% फॉर्मूला की मांग कर रहे है.
सरकार का पक्ष :
केंद्र सरकार का मानना है ऐसा करने से सरकार पर 11000 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा एवं सभी फसलों पर msp देना संभव नहीं है. साथ ही कृषि राज्य सूची का विषय है तो राज्यों की सहमति भी आवश्यक है
किसानो का तर्क
MSP घोसित करने का मतलब ये नहीं की सरकार को फसल खरीदनी होगी बल्कि इस से यह सुनिश्चित होगा की किसान अपनी फसल को इस दाम से निचे नहीं बेचेंगे सरकार केवल २०% अनाज ही खरीद करती है बाकि किसान खुले बाजार में ही बेचता है